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Parole kya hai kaise milta hai

जाने किसे मिलता है पैरोल पर रिहाई – Parole kya hai kaise milta hai

Parole Term and Conditions | Parole kya hai kaise milta hai | पैरोल क्या है? पैरोल जमानत क्या है ? Types of Parole | Application for Parole in Hindi | Parole maximum Time

हेलो दोस्तों, जैसा कि आप लोग जानते हैं कि जब कोई व्यक्ति गंभीर अपराध करता है तो उसे अपराध के अनुरूप कोर्ट की तरफ से सजा दी जाती है। ऐसे में आप लोगों ने बहुत बार सुना होगा कि किसी अपराधी को कोर्ट की तरफ से पैरोल दी गई है।  अब आप लोगों के मन में सवाल आएगा कि आखिर में पैरोल होता क्या है? और यह कैसे मिलता है? पैरोल में अपराधी किस प्रकार जेल से बाहर आता है? उसकी प्रक्रिया क्या होती है?  पैरोल कितने प्रकार के होते हैं?  अगर आप इसके बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं है मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि पोस्ट को आगे तक पढ़े- 

पैरोल क्या है? Parole kya hai kaise milta hai

पैरोल का मतलब होता है कि कोई अपराधी जब जेल में किसी अपराध के लिए अपनी सजा काट रहा है। उसके जेल के अंदर व्यवहार और उसका आचरण बहुत अच्छा है तो उसे जेल से अस्थाई रूप से रिहा किया जाता है। इसका एक विशेष समय अवधि होता है, और उस समय अवधि को आप कोर्ट में एप्लीकेशन देकर बढ़ा भी सकते हैं।

आसान शब्दों में समझें तो पैरोल का मतलब होता है, कि अगर आप जेल में है और आपके घर में कोई इमरजेंसी घटना घटित हो गई है तो आप कोर्ट में एप्लीकेशन देकर पैरोल के माध्यम से जेल से बाहर निकल कर अपने घर जा सकते हैं।

Parole in Hindi
Parole in Hindi

Parole कितने प्रकार का होता है – Types of Parole

पैरोल मुख्य तौर पर दो प्रकार के होते हैं जिसका विवरण हम आपको नीचे बिंदु अनुसार देंगे आइए जाने

  • कस्टडी पैरोल – Custody Parole
  • रेगुलर पैरोल – Regular Parole

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कस्टडी पैरोल क्या होता है – Custody Parole kya hota hai

कस्टडी पैरोल का मतलब होता है कि अगर कोई अपराधी विशेष अपराध के लिए जेल में सजा काट रहा है या दोषी है। ऐसी स्थिति में उसके घर में कोई इमरजेंसी घटना घटित हो गई है, उसे अपने परिवार वाले से मिलना है तो वह जेल के superintendent के पास कस्टडी पैरोल के लिए आवेदन कर सकता है। अगर आप का एप्लीकेशन जेल के सुपरिंटेंडेंट के द्वारा रिजेक्ट कर दिया जाता है। तो ऐसी स्थिति में आप कोर्ट के पास कस्टडी पैरोल के लिए आवेदन कर सकते हैं।

Custody Parole में अपराधी जब जेल से बाहर निकलेगा तो अब पुलिस की सुरक्षा घेरे में होगा ताकि वह भाग ना सके। कस्टडी पैरोल में अपराधी को 6 घंटे का समय दिया जाता है उसके अंतर्गत उसे अपने घर के सभी कार्यों को पूरा कर कर जेल के अंदर जाना होता है। Custody Parole को वैसे Temporary Parole भी कहा जाता है।

रेगुलर पैरोल क्या होती – Regular Parole kya hota hai

रेगुलर पैरोल का मतलब होता है कि अगर कोई अपराधी जेल में सजा काट रहा है तो आप कोर्ट में रेगुलर पैरोल के लिए आवेदन कर सकता है। इस प्रकार की प्रक्रिया में अपराधी को जेल के अंदर 1 साल की सजा काटना आवश्यक है। तभी जाकर उसे कोर्ट की तरफ से रेगुलर पैरोल मिल पाएगा।

Regular Parole की प्रक्रिया में अपराधी का आचरण जेल के अंदर अच्छा होना चाहिए और उस दौरान उसने कोई दूसरा अपराध ना किया हो। तभी जाकर उसे रेगुलर पैरोल दी जाती है और रेगुलर Parole की समय अवधि 1 महीने की होती है। रेगुलर पेट्रोल कुछ विशेष परिस्थितियों में दी जाती है जैसे- 

  • अपराधी के परिवार में कोई बीमार हो,
  • परिवार में विवाह हो
  • किसी परिस्थिति में मकान की मरम्मत करानी बहुत जरुरी होय
  • दि परिवार में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गयी हो
  • यदि पत्नी गर्भवती हो और डिलीवरी होनी हो और घर में कोई और व्यक्ति देख रेख के लिए ना हो
  • इसके अलावा किसी और प्रकार का ऐसा काम हो जिसे पूरा किया जाना अपराधी के लिए बहुत जरुरी हो

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Parole लेने के लिए शर्तें क्या है -Legal terms and conditions for taking Parole

  • यदि अपराधी के घर या परिवार में किसी प्रकार का उत्सव होता है या उस अपराधी के घर या परिवार में किसी प्रकार की दुर्घटना होती है तो उक्त कैदी/कैदी को कुछ समय के लिए परिवीक्षा पर रखा जा सकता है।
  • यदि बंदी के परिवार में उसकी पुत्री का विवाह है तो वह अनुरोध कर सकता है। क्योंकि हमारे हिन्दू धर्म में पुत्री की पुत्री का दान उसके माता-पिता द्वारा ही किया जाता है।
  • अगर उसी कैदी के परिवार या उसके बेटे, बेटी, पत्नी या बुजुर्ग माता-पिता की मृत्यु हो जाती है, तो वह अपने अंतिम संस्कार के लिए पैरोल के लिए आवेदन कर सकता है और उसे पैरोल दिया जाएगा।
  • यदि अपराधी ने जेल की सजा प्राप्त करने से पहले किसी भी प्रकार के सरकारी कार्य को पूरा नहीं किया है या पूरा नहीं किया है तो उसे उस सरकारी कार्य को पूरा करने के लिए पैरोल ले सकता है।
  • अगर अपराधी जो जेल में है यदि उसकी पत्नी बच्चे बुजुर्ग माता-पिता उसके परिवार में बीमार हैं और परिवार में उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है तो ऐसी स्थिति में उनकी देखभाल के लिए पैरोल के लिए आवेदन कर सकता है।
  • यदि अपराधी अपने परिवार के लिए एकमात्र कमाने वाला है, तो कैदी को अपने परिवार का समर्थन करने के लिए पैरोल पर रखा जा सकता है।
  • अगर अपराधी या उसके परिवार या रिश्तेदार का कोई सरकारी काम है तो वह उसके लिए पैरोल के लिए आवेदन कर सकता है।
  • अगर अपराधी का कोई काम बैंक में अटका हुआ है या अधूरा या जरूरी है तो उसे पूरा करने के लिए आप Parole ले सकते हैं।
  • यदि कैदी के बच्चे नहीं हैं, तो कैदी और उसकी पत्नी की सहमति के अनुसार, वह बच्चा पैदा करने के लिए पैरोल के लिए आवेदन कर सकता है, लेकिन ऐसी पैरोल अर्जी पर बोर्ड फैसला लेता है, जिसमें जेल प्रशासन या जेल अध्यक्ष की अहम भूमिका होती है।
  • अगर अपराधी को अपनी संपत्ति बेचनी है, या उस संपत्ति को अपने परिवार के किसी सदस्य या रिश्तेदार को हस्तांतरित करना चाहता है, तो कैदी को उसके लिए पैरोल मिल सकती है।
  • यदि अपराधी अपनी संपत्ति की वसीयत बनाना चाहता है, कि उसकी संपत्ति बिना किसी विवाद के उसके बच्चों के बीच ठीक से विभाजित हो जाए, तो वह इसके लिए Parole प्राप्त कर सकता है।
  • agar कैदी इनमें से किसी भी बीमारी से पीड़ित है या गंभीर रूप से बीमार है और उसका इलाज जेल के अस्पताल में नहीं किया जा सकता है तो कैदी को इलाज के लिए पैरोल पर रिहा कर दिया जाएगा।
  • यदि कैदी मानसिक रूप से अस्थिर है, और उसे अस्पताल में इलाज की बहुत जरूरत है।
  • अगर किस कैदी को अंधापन की शिकायत है तो भी पैरोल पर छोड़ा जा सकता है ।

किन स्तिथियों में पैरोल के आवेदन को अस्वीकार कर दिया जा सकता है? Why Parole Application rejected

पैरोल पर किसी अपराधी को उस परिस्थिति में नहीं छोड़ा जा सकता है, यदि अपराधी का व्यवहार जेल में अच्छा नहीं है। इसके अलावा इसके पहले भी अगर उसने पैरोल पर आवेदन किया है और उसे पैरोल भी मिल गया था लेकिन उसने पैनल के नियम और शर्तों का पालन नहीं किया तो ऐसे स्थिति में उसे पैरोल नहीं दी जाएगी।

इसके अलावा यदि अपराधी ने बलात्कार के बाद हत्या का अपराध किया हो या फिर देश द्रोह जैसे मामले में उसे सजा हुई हो। यदि अपराधी को किसी प्रकार की आंतकवादी गतिविधि, जैसे अपराध के लिए सजा हुई हो तो पैरोल नहीं दी जाती है। इसके अलावा देश से जुड़े हुए अन्य प्रकार के सुरक्षा मामलों में अगर अपराधी को सजा हुई है तो उसे कोर्ट की तरफ से पैरोल नहीं दिया जा सकता है।

Sahara chief Subrata Roy On Parole
Sahara chief Subrata Roy On Parole

पैरोल पर छूटे हुए अपराधी को किस प्रकार के शर्तों का पालन करना पड़ता है

  1. अपराधी किसी प्रकार का नशा नहीं कर सकता
  2. वेश्या घर नहीं जा सकता
  3. कैदी शराब के किसी भी अड्डे पर नहीं जायेगा।
  4. अपराधिक हथियार नहीं रखेगा
  5. अपराधी समाज में अच्छे नागरिक की तरह जीवन व्यतीत करना होगा
  6. अपराध कानून का पालन
  7. देर रात तक नहीं जागेगा
  8. अपने अपने दोस्तों को किसी प्रकार का पत्र या मैसेज नहीं करेगा
  9. पैरोल लेते समय कोर्ट में जिस स्थान का जिक्र किया था उस स्थान पर उसे रहना होगा
  10. Parole के समय अवधि के दौरान अपराधी को अपना जो भी काम है उसे पूरा करना होगा
  11. सूर्यास्त के बाद उसे घर से बाहर नहीं निकलना होगा
  12. पैरोल के दौरान अपराधी शादी नहीं कर सकता है
  13. कैदी किसी दूसरे अपराधियों से नहीं मिलेगा।
  14. पैरोल पर कैदी उस व्यक्ति को नहीं मिलेगा जिसकी शिकायत के आधार पर उसे दंडित किया गया था, और न ही वह शिकायतकर्ता के खिलाफ कोई आपराधिक साजिश रचेगा।
  15. यदि कैदी को रिहा किया जाता है ताकि वह अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके, तो वह अपनी नौकरी नहीं बदलेगा, और अगर नौकरी बदलने की जरूरत है, तो जेल के प्रमुख, प्रशासन या अदालत को अच्छे कारण के बारे में जानकारी प्रदान की जानी चाहिए।
  16. कैदी समाज में ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा जिससे समाज में अशांति उत्पन हो
  17. पैरोल कैदी किसी भी प्रकार का कोई भी हथियार नहीं खरीदेगा और न ही अपने पास रखेगा।
  18. कैदी किसी भी जिव-जंतु का शिकार नहीं करेगा।
  19. जब एक कैदी पैरोल पर रिहा होता है, तो वह किसी अन्य अपराधी को पत्र नहीं लिखेगा या किसी प्रकार का संपर्क नहीं रखेगा।
  20. अगर कैदी अविवाहित है और पैरोल के बाद शादी करना चाहता है, तो उसे अदालत से अनुमति लेनी होगी।

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पैरोल साल में कितनी बार मिलती है – Limit of Parole in One Year

अगर किसी व्यक्ति का मुकदमा अदालत के अंदर चल रहा है तो उस व्यक्ति को जज अपनी मर्जी से कितनी बार भी parole दे सकता है। यह जज के ऊपर निर्भर करता है। इसके विपरीत अगर कोई व्यक्ति जेल में किसी अपराध के लिए सजा काट रहा है, तो उसे साल में दो बार ही पैरोल मिल सकता है। और कुछ विशेष परिस्थितियों में उसे 2 बार से अधिक पैरोल दिया जा सकता है।

1 साल के अंदर किसी भी अपराधी को 4 महीनों के लिए पैरोल कोर्ट प्रदान करता है। जबकि कृषि से संबंधित अपराधी के लिए यह समय 6 week का होता है। वैसे भी हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट ने का आदेश जारी किया है जिसके अनुसार अगर किसी अपराधी का जेल के अंदर अच्छा आचरण है तो ऐसे अपराधी को 2 सप्ताह के लिए पैरोल पर जेल से रिहा करना चाहिए। ताकि वह अपने परिवार वाले से मिल सके इससे अपराधी को मानसिक शांति और आनंद प्राप्त होता है।

Parole अप्लाई कैसे करे – Parole Apply Process

पैरोल प्राप्त करने के लिए, एक कैदी के वकील को एक आवेदन दाखिल करना होगा। पैरोल गंभीर से गंभीर अपराध के अपराधियों को मिल सकती है।

  • यदि अभी केस न्यायालय में चल रहा है, तो उस कैदी का पैरोल का अनुरोध उसी अदालत के समक्ष किया जाता है। इस अनुरोध के आधार पर, अदालत उस कैदी को पैरोल पर रिहा करने आदेश दे सकती है।
  • यदि अपराधी के विरुद्ध आरोप सिद्ध हो जाते हैं और इस व्यक्ति को न्यायाधीश के आदेश से कारावास की सजा सुनाई जाती है, तो इस अनुरोध के आधार पर कैदी के Parole Application प्रशासन (Administration ) या जेल अध्यक्ष (Jail Superintendent ) को दी जाएगी।
  • हाँ अगर सजा काट रहे कैदी की पैरोल अप्पिकेशन जेल प्रशासन दुवारा रेजेट कर दी जाती है तो कैदी ऊपर अदालत में अपील कर सकता है ।

पैरोल ले के भाग जाना

  • कैदी जो पैरोल लेते है और भाग जाते है । इसमें दो साल कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
  • इसके इलावा अगर अपराधी पैरोल लेकर भाग जाता है । और इस केस से बरी नहीं हो जाता है । आगे किसी अन्य केस में दुबारा जेल जाता है , तब भी उसको दुबारा से Parole नहीं दी जाती ।
  • यदि पैरोल के बाद व्यक्ति फिर से अपराध करता है या पैरोल की शर्तों का उल्लंघन करता है, तो ऐसे मामले में वह फिर से पैरोल नहीं मिलेगा । Parole की शर्तों के उल्लंघन करने वाले को वापिस जेल भेज दिया जाता है। उसे शेष सजा उसी जेल में भुगतनी होगी।

सवाल जवाब (FAQ)

पेरोल किसे कहते है ?

पेरोल का क्या अर्थ है? पैरोल अच्छे व्यवहार के लिए किसी अपराधी को कुछ समय के लिए जेल से रिहा करने की कानूनी प्रक्रिया का नाम है।

पैरोल कैसे की जाती है?

यदि आरोपी व्यक्ति पर लगे आरोप सिद्ध हो जाते है, और उस व्यक्ति के न्यायाधीश के आदेश पर जेल की सजा मिल जाती है , तो उस बंदी व्यक्ति के पैरोल के लिए आवेदन प्रशासन (Administration ) या जेल अध्यक्ष (Jail Superintendent ) को दी जाएगी , इस आवेदन के आधार पर उस व्यक्ति को पैरोल पर रिहा किये जाने का आदेश दिया जा सकता है।

फरलो और परोल में क्या अंतर है?

फरलो एक बार में दो सप्ताह के लिए दी जा सकती है और दो सप्ताह के लिए बढ़ाई जा सकती है। फरलो अपराधी का अधिकार है, जबकि परोल अधिकार के रूप में अनुरोध नहीं किया जा सकता है। परोल अवधि के दौरान अपराधी को जितने दिन जेल से रिहा किया जाता है, उतनी ही लंबी सजा उसे काटनी होगी।

निष्कर्ष

हम आशा करते है के इस आर्टिकल से आपको कैसे कोई कैदी अपनी छुट्टी पर Parole ले सकता है ? Parole kya hai kaise milta hai ? कैदी को Parole kab milti hai ? कैदी Parole ke application file kaise kar सकता है ? Parole kitne parkar का होता है ? Regular aur Temporary Parole Difference क्या है ? Parole Term and Conditions के बारे में हमने विस्तार से जाना। अगर आपका कोई अन्य सवाल या सुझाव है तो आप निचे कमेंट कर सकते है । हमरे साथ जुड़े रहने के लिए हमे सोशल मीडिया पर फॉलो करे । धन्यावाद।

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